हनोई में डॉ. रणधीर ने किया भारत का प्रतिनिधित्व

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Last Updated on October 6, 2025 by Gopi Krishna Verma

एक नज़र:

  • संयुक्त राष्ट्र कॉन्फ्रेंस वियतनाम में डॉ. रणधीर ने यूनिस्को, भारत का प्रतिनिधित्व
  • डॉ. रणधीर ने हनोई, वियतनाम के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में किया भारत का प्रतिनिधित्व।
  • शिक्षा, भारतीय ज्ञान परम्परा, भारतीय संस्कृति एवं परंपरा पर हनोई में डॉ रणधीर ने किया भारत का प्रतिनिधित्व।

गिरिडीह। जमुआ प्रखंड के नईटांड निवासी डॉ. रणधीर कुमार ने यूनाइटेड नेशन्स हाई कमिश्नर ऑफ रिफ्यूजी,ऑस्ट्रेलियन एंबेसी, आयरलैंड एंबेसी वियतनाम के तत्वाधान में हनोई, वियतनाम में 3 से 5 अक्टूबर 2025 तक आयोजित संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस सम्मेलन में पूरे विश्व के 150 प्रतिनिधि ,लगभग 60 देशों से भाग लिया। वियतनाम में विभिन्न देशों के 8 राजदूतों एवं काउन्सलर ने भाग लिया एवं विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किया।

इस सम्मेलन में विभिन्न देशों के प्रतिनिधि यूनिसेफ, यूनिस्को, वर्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन, यूनाइटेड नेशन वीमन, यूनाइटेड पॉपुलेशन फण्ड ,वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम जैसे प्रमुख संगठनों का प्रतिनिधित्व किया। डॉ. रणधीर कुमार ने यूनाइटेड नेशंस एजुकेशन, साइंटिफिक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन (यूनिस्को) भारत का प्रतिनिधित्व। यूनेस्को परिषद् में भारत समेत 23 देशों ने प्रतिनिधियों ने अपने देश का प्रतिनिधित्व किया। जिसमें प्रमुख रूप ग्रामीण एवं पिछड़े इलाकों में शिक्षा प्रदान करने मे तकनीकी का योगदान, डिजिटल शिक्षा, परंपरागत शिक्षा एवं शिक्षा मे आमूल-चूल परिवर्तन पर विस्तृत चर्चा हुई।

यूनेस्को परिषद मे भारत के प्रतिनिधि के रूप में डॉ रणधीर ने इस सम्मेलन में ” शिक्षा ,भारतीय ज्ञान प्रणाली, भारतीय पिछड़ेपन की रोकथाम, संस्कृति एवं कला के क्षेत्र में यूनेस्को की प्रासंगिकता पर स्थिति पत्र/ शोध पत्र प्रस्तुत किया। डॉ रणधीर ने भारत की शिक्षा व्यवस्था, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, भारतीय ज्ञान परम्परा पर विस्तृत प्रकाश डाला। ग्रामीण इलाके मे डिजिटल शिक्षा पर सरकार के प्रयास की जानकारी दिया एवं शिक्षा मे आमूल-चूल परिवर्तन हेतु सभी अंतर्राष्ट्रीय देश के साथियों से सहयोग की आग्रह किया।

सम्पूर्ण विश्व मे बढ़ते मानवाधिकार हनन पर चिंता जाहिर करते हुए संयुक्त राष्ट्र से इस पर व्यापक पहल करते हुए पूरे विश्व के माध्यमिक शिक्षा पाठयक्रम मे शामिल करने का अपील किया। डॉ. रणधीर ने इस सम्मलेन में यूनेस्को से आदिवासी विरासत, संस्कृति एवं प्राचीन शिक्षा पद्धति, आदिवासी रहन- सहन, प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति को यूनेस्को के पहचान, भारत के विलुप्त होते विरासत अशोका, मगध, मौर्य शिवाजी महाराज जैसे दर्जनों विरासत को पुनरुत्थान की अपील किया। ऐसे विरासत को पुनर्जागृत कर भारतीय विरासत को मजबूत करने की अपील किया।

ज्ञात हो बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ रणधीर कुमार गिरिडीह जिला के नईटांड निवासी पूर्व प्रधानाध्यापक, +2 उच्च विधालय जनता जरीडीह दिनेश्वर वर्मा के पौत्र एवं उच्च विद्यालय बड्डीहा के शिक्षक दीनदयाल प्रसाद के पुत्र है। इन्होंने अंग्रेजी साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, आईआईएम रांची, लंदन स्कूल ऑफ़ बिज़नेस एडमिस्ट्रेशन जैसे प्रमुख संस्थानों से शिक्षा ग्रहण की है। बहुत ही कम उम्र में शिक्षा एवं समाज कल्याण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान हेतु कई राज्य, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के सम्मान प्राप्त हो चुके है। अपने शिक्षा के साथ-साथ, महज़ 21- 23 वर्ष के उम्र में डॉ. रणधीर को आदिवासी पिछड़े इलाके में शिक्षा के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान हेतु यंग इंडिया फेलोशिप, झारखंड नागरिक सम्मान2016, राष्ट्रीय शिक्षा सम्मान 2017, मानद डॉक्टरेट 2018,झारखंड रत्न सम्मान 2019, झारखंड श्री सम्मान समेत अनेक पुरस्कारों से नवाज़े जा चुके हैं।

डॉ. रणधीर के द्वारा आठ पुस्तकों का लेखन , पत्रिका एवं अख़बार का संपादन किया जा चुका है। डॉ. रणधीर ने 100 से अधिक नेशनल एवं इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में भाग ले चुके है जिसमे अपना शोध पत्र भी प्रस्तुत किया है। शिक्षा, युवा नेतृत्व, मानवाधिकार जैसे विषयों पर कई अंतर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन कर चुके है । डॉ रणधीर कुमार के द्वारा कई शैक्षणिक एवं सामाजिक संस्थाओं का स्थापना किया जा चुका है जिसमे नमन इंटरनेशनल फाउंडेशन ,एन एच आर सी सी बी एवं अन्य है। डॉ रणधीर कई महत्वपूर्ण संस्था मे बतौर सलाहकार एवं बोर्ड मेम्बर जुड़े है। देश के कई विश्विद्यालय, आयोग एवं संस्थाओं में बतौर वक्ता या गेस्ट फैकल्टी आमंत्रित किए जाते है। वर्तमान में डॉ. रणधीर झारखंड के महत्पूर्ण सरकारी संस्थान में अपनी सेवा दे रहे है।

बतौर चेयरमैन एनएचआरसीसीबी, डॉ रणधीर कुमार सम्पूर्ण भारत में मानवाधिकार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही है। इनके कुशल नेतृत्व में समाज के निचले पायदान पर खड़े शोषितों वंचित एवं कमजोर वर्ग के अधिकारों की रक्षा हेतु हज़ारों सदस्य कर कार्य रही है । डॉ. रणधीर ने इस उपलब्धि हेतु अपने प्रेरणा स्रोत दादा जी दिनेश्वर वर्मा (पूर्व प्रधानाध्यापक, +2 उच्च विधालय जनता जरीडीह ), दादी माँ स्मृति शेष सावित्री देवी, पिता दीनदयाल प्रसाद ( शिक्षक उच्च विधालय बद्दीहा) माता सावित्री देवी ( निदेशक – नमन इंटरनेशनल फाउंडेशन) चाचा बिनोद कुमार ( प्रभारी प्राचार्य +2 उच्च विद्यालय दुम्मा) विकास कुमार ( शिक्षक उच्च विद्यालय कबरियाबेड़ा, गिरिडीह ) डॉ. सुरेश वर्मा (डिप्टी कमांडेंट ,गृह मंत्रालय भारत सरकार ) पत्नी सुजाता वर्मा, भाई संदीप वर्मा (समन्वयक – नमन इंटरनेशनल स्कूल रेम्बा) एवं समस्त परिवाजनों, गुरुजनों एवं साथियों का आभार व्यक्त किया है।

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