जिला स्तरीय जन्म-मृत्यु निबंधन से संबंधित प्रशिक्षण सत्र का किया गया आयोजन
Last Updated on December 30, 2025 by Gopi Krishna Verma

गिरिडीह। मंगलवार को समाहरणालय सभागार में उपायुक्त रामनिवास यादव की अध्यक्षता में जिला स्तरीय जन्म-मृत्यु निबंधन से संबंधित बैठक सह प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया।
बैठक में उपायुक्त ने कहा कि जन्म और मृत्यु अधिनियम 1969, जन्म और मृत्यु का पंजीकरण (संशोधित) अधिनियम 2023, झारखण्ड जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण नियमावली, 2009 तथा वर्तमान में यह निबंधन प्रणाली ऑनलाईन है एवं इस कार्य हेतु ORGI नई दिल्ली के द्वारा विकसित पोर्टल ‘dc.crsorgi.gov.in’ का उपयोग किया जाता है। जिला में घटित सभी जन्म एवं मृत्यु की घटनाओं का निबंधन करना अनिवार्य है।

प्रत्येक जन्म एवं मृत्यु की घटनाओं का ससमय अर्थात् 21 दिनों के अन्दर निबंधन किया जाना है। घटना की तिथि से 21 दिनों के भीतर सूचना देने पर जन्म एवं मृत्यु का निबंधन निबंधक (जन्म-मृत्यु) द्वारा निःशुल्क किया जाता है। 21 दिनों से 30 दिनों तक की जन्म या मृत्यु की घटना की सूचना निबंधक को उपलब्ध कराने पर निबंधक द्वारा एक रूपया विलम्ब शुल्क लेकर निबंधन किया जाता है। 30 दिन के उपर एवं एक वर्ष तक घटनाओं का निबंधन जिला सांख्यिकी पदाधिकारी के लिखित आदेश पर निबंधक द्वारा एक रूपया विलम्ब शुल्क लेकर निबंधक द्वारा किया जाता है।
उपायुक्त सह जिला रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु), गिरिडीह द्वारा बताया गया कि जन्म मृत्यु की घटना का निबंधन एक राष्ट्रीय महत्व का विषय है एवं इनका ससमय निबंधन अनिवार्य है। निबंधन संबंधी आंकडों का उपयोग सरकार द्वारा नीति निर्माण में किया जाता है। बैठक में उपायुक्त ने उपस्थित सभी अनुमंडल पदाधिकारी को निदेश दिया कि अपने क्षेत्रान्तर्गत सभी निबंधन इकाईयों में होने वाली प्रत्येक जन्म-मृत्यु घटना का ससमय निबंधन कराना सुनिश्चित करेंगे। साथ ही सभी प्रखण्ड विकास पदाधिकारी को निदेश दिया गया कि सभी पंचायतों में कार्यरत पंचायत सचिव सह रजिस्ट्रार (जन्म-मृत्यु) को अपने स्तर से निदेशित करेंगे कि प्रत्येक नियमित रूप से पंचायत सचिवालय सह जन्म मृत्यु निबंधन कार्यालय में उपस्थित रहकर जन्म मृत्यु निबंधन से संबंधित कार्य करेंगे।

साथ ही प्रखण्ड सांख्यिकी पर्यवेक्षक एवं प्रखण्ड पंचायती राज पदाधिकारी को निदेशित करेंगे कि प्रत्येक माह कम-से-कम एक-एक निबंधन इकाई की जाँच कर जाँच प्रतिवेदन जिला सांख्यिकी कार्यालय, गिरिडीह को निश्चित रूप से उपलब्ध करायेंगे। इसके अलावा कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत बड़की सरैया एवं धनवार तथा सहायक नगर आयुक्त, गिरिडीह नगर निगम को निदेश दिया गया कि उनके निबंधन क्षेत्र के सभी निजी / प्राईवेट अस्पतालों को सी० आर० एस० पोर्टल के साथ जोडना सुनिश्चित किया जाय ताकि निजी / प्राईवेट अस्पतालों में होने वाली प्रत्येक जन्म एवं मृत्यु की घटना का ससमय निबंधन किया जा सके।उपायुक्त सभी संबंधित पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया कि संशोधित जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रिकरण अधिनियम एवं नियमावली के अंतर्गत शत-प्रतिशत जन्म-मृत्यु निबंधन सुनिश्चित करें। साथ ही उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि फर्जी जन्म प्रमाण-पत्र निर्गत न हो, इसे भी सुनिश्चित किया जाए।जिला स्तरीय प्रशिक्षण सत्र में जनगणना कार्य निदेशालय, झारखंड, रांची द्वारा नामित दो मास्टर प्रशिक्षकों, डॉ. सत्येन्द्र कुमार गुप्ता, उप निदेशक एवं दिलीप कुमार, सां० अं० ग्रेड-IIके माध्यम से प्रशिक्षण दिया गया।

प्रशिक्षण में जन्म एवं मृत्यु निबंधन कार्य, जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रिकरण अधिनियम 1969 एवं 2023 (संशोधित) अधिनियम, जो माह अक्टूबर 2023 से पूरे देश में लागू है, के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।प्रशिक्षण के दौरान जनगणना कार्य निदेशालय, झा०, रांची से आए प्रशिक्षक द्वारा बताया गया कि अस्पताल में होने वाले सभी जन्म की घटना का निबंधन करते हुए शिशु की माता को डिस्चार्ज के पूर्व जन्म प्रमाण-पत्र उपलब्ध कराया जाना है। प्रशिक्षण सत्र में आए सभी प्रतिभागियों द्वारा उठाए गए सभी समस्याओं का विस्तृत रूप से समाधान किया गया।
जिला सांख्यिकी पदाधिकारी, गिरिडीह द्वारा बताया गया कि रजिस्ट्रार अपना पासवर्ड अति गोपनीय रखें, पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहें एवं किसी से शेयर नहीं करें।
प्रखंड विकास पदाधिकारी अपने-अपने प्रखंड में होने वाले जन्म निबंधन का प्रत्येक माह समीक्षा करें, ताकि अप्रत्याशित निबंधन वृद्धि यदि हो तो इसकी जांच कर फर्जी प्रमाण-पत्र निर्गत न हो सके, इसके लिए ठोस पहल करें।
जिला स्तरीय प्रशिक्षण सत्र में गिरिडीह जिला के उप विकास आयुक्त, अनुमंडल पदाधिकारी गिरिडीह, अनुमंडल पदाधिकारी खोरीमहुआ,जिला सांख्यिकी पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी के साथ-साथ प्रखंड विकास पदाधिकारी, सहायक नगर आयुक्त, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पंचायत, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल, सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सभी प्रखंड सांख्यिकी पर्यवेक्षक एवं जिला सांख्यिकी कार्यालय के सभी कर्मियों द्वारा भाग लिया गया।
