बीमा कानून संसोधन के विरोध में एक दिवसीय प्रदर्शन
Last Updated on December 19, 2025 by Gopi Krishna Verma

गिरिडीह। गुरुवार को बीमा उद्योग तथा बैंकिंग उद्योग में कार्यरत तमाम श्रमिक संगठनों के आह्वान पर भारतीय जीवन बीमा निगम के तमाम शाखा कार्यालय में भारत सरकार द्वारा बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 को संसद में पारित करने के विरोध में द्वार प्रदर्शन का आयोजन किया गया। गिरिडीह शाखा कार्यालय परिसर में भी अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ के नेतृत्व में भोजनावकाश के दौरान द्वार प्रदर्शन का आयोजन किया गया।

इस कार्यक्रम में अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ के आलावे एल आई सी क्लास वन ऑफिसर्स एसोसिएशन, एलआईसी पेंशनर्स एसोसिएशन, अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ, बैंक एम्पलॉइज फेडरेशन ऑफ इंडिया, एसबीआई बैंक कर्मचारी संघ ( एन सी बी ई ) बी एस एस आर यूनियन, झारखंड कोल मजदूर यूनियन सहित कई संगठनों के पदाधिकारियों तथा सदस्यों ने भाग लिया।
इस अवसर पर तमाम वक्तआओं ने बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 की कड़ी निंदा की, और कामकाजी लोगों, पॉलिसीधारकों और सभी लोकतांत्रिक ताकतों से इस प्रतिगामी कानून का विरोध करने का आह्वान किया, जो राष्ट्रीय हितों के लिए बहुत हानिकारक है। इस अवसर पर धर्म प्रकाश, संयुक्त सचिव, बीमा कर्मचारी संघ हजारीबाग मंडल ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार के द्वारा जनहितैषी भाषा और शब्दावली का उपयोग कर एक ऐसी नीति को वैध ठहराने की कोशिश की गई है, जो वास्तव में जनहित को कमजोर करती है।

संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत इस विधेयक को चालाकी से “सबका बीमा- सबकी रक्षा (बीमा क़ानूनों का संशोधन) विधेयक 2025” नाम दिया गया है। संशोधनों के घोषित उद्देश्य बीमा क्षेत्र की वृद्धि को तेज करना, पॉलिसीधारकों की सुरक्षा बढ़ाना, कारोबार करने में सुगमता लाना तथा विनियामक पारदर्शिता और निगरानी को मजबूत करना बताए गए हैं। किंतु वास्तविक मंशा भारत की बहुमूल्य घरेलू बचत को थाली में परोसकर विदेशी पूंजी के हवाले करने का प्रयास है।
प्रस्तुत विधेयक भारतीय बीमा कंपनियों में, पोर्टफोलियो निवेशकों सहित, 100 प्रतिशत तक प्रत्क्ष्य विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देने का प्रस्ताव करता है। 100 प्रतिशत FDI से न तो भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ होगा और न ही बीमाधारकों को। इससे केवल इतना होगा कि विदेशी पूंजी को देश की घरेलू बचत तक अधिक पहुँच और नियंत्रण मिल जाएगा। वर्तमान में 74 प्रतिशत की FDI सीमा निजी क्षेत्र के विकास या विस्तार में कोई बाधा नहीं है। वास्तव में बीमा क्षेत्र में 74 प्रतिशत एफ डी आई सीमा के मुकाबले केवल 32.67 प्रतिशत ही विदेशी निवेश हुआ है।
FDI सीमा को 74 प्रतिशत तक बढ़ाए जाने के बाद से जीवन बीमा क्षेत्र में केवल चार कंपनियों-फ्यूचर जेनराली लाइफ, एजियास, एविवा और क्रेडिट एक्सेस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी-ने ही इस सीमा का उपयोग किया है। सर्व विदित सच्चाई है कि विदेशी पूंजी अधिक मुनाफे की तलाश में आती है। इसलिए 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत FDI की अनुमति देने का कोई औचित्य नहीं है। LIC और सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों ने कठिन आर्थिक परिस्थितियों में भी जबरदस्त प्रदर्शन किया है, जिससे भारत की बीमा पैठ विकसित देशों के बराबर दिखाई देती है। सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत करना चाहिए, न कि कमजोर। अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संघ बीमा क्षेत्र में एफ डी आई बढ़ाने तथा आई आर डी ए को अत्यधिक शक्तिशाली बनाए जाने के फैसले का कड़ा विरोध करता है और इस कदम को वापस लेने की मांग करता है।
इस कार्यक्रम में अनुराग मुर्मू, विजय कुमार, उमानाथ झा, कुमकुम वाला वर्मा, राजेश कुमार उपाध्याय, रोशन कुमार, सुश्री श्वेता, राजेश कुमार, अजय कुमार, के कुटुंब, विकास पांडेय, अंशु कुमारी, सिंघानिया, प्रभास कुमार शर्मा, राजा राम, सबा परवीन, अनिल कुमार वर्मा, नीतीश कुमार गुप्ता, प्रीतम कुमार मेहता, गौरव कुमार सिंह, माहेश्वरी वर्मा, सुनील कुमार वर्मा, संजय कुमार शर्मा, प्रदीप कुमार, प्रदीप प्रसाद, घनश्याम साव, पंकज कुमार, बीएसएसआर यूनियन के मृदुल कांति दास, अभिजीत डान, पेंशनर एसोसिएशन के संत कुमार रॉय, रविन्द्र सिंह, बिकास कुमार सरकार, बीबी लाल, एसबीआई के अभिषेक कुमार सहित कई कर्मचारियों ने भाग लिया।
