शिक्षा, सामाजिक न्याय और सत्ता के विकेंद्रीकरण पर था गांधी का विशेष जोर: उपायुक्त
Last Updated on October 6, 2025 by Gopi Krishna Verma
खरगडीहा से शुरू हुई दो दिवसीय पद यात्रा, 7 तारीख को नगर भवन में होगा समापन समारोह

गिरिडीह। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के गिरिडीह आगमन की 100वीं वर्षगांठ पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जा रही है। इस ऐतिहासिक अवसर पर बड़े स्तर पर दो दिवसीय भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया है जिसमें जिले के अलावा पूरे देश से बड़ी संख्या में लोग हिस्सा ले रहे हैं।
कार्यक्रम की शुरूआत खरगडीहा में सुबह लंगेश्वरी बाबा की समाधि पर चादरपोशी और उसके बाद पदयात्रा से हुई, जिसमें गिरिडीह उपायुक्त रामनिवास यादव मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उनके साथ जमुआ के पूर्व विधायक झामुमो के वरिष्ठ नेता केदार हाजरा, झामुमो के ज़िलाध्यक्ष संजय सिंह, अनुमंडल पदाधिकारी खोरीमहुआ अनिमेश रंजन, एसडीपीओ खोरीमहुआ राजेंद्र प्रसाद, बीडीओ जमुआ अमलेश कुमार, दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र आयुष चतुर्वेदी, प्रणव वर्मा , भाकपा माले के जिला सचिव अशोक पासवान, स्थानीय जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, स्कूली छात्र-छात्राएं और आम नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। पदयात्रा खरगडीहा से शुरू होकर दूसरे दिन पचम्बा पहुंचेंगी, जहाँ पचम्बा हाई स्कूल परिसर में एक भव्य जनसभा होगी। इसके बाद सभी लोग पचम्बा से चलेंगे और रास्ते में पड़ने वाली सभी महापुरुषों की मूर्तियों पर माल्यार्पण करते हुए नगर भवन पहुंचेगे।
पदयात्रा के दौरान गांधीजी के जीवन, उनके सिद्धांतों और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को गीतों, स्लोगन और नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से याद किया जा रहा है। इस मौके पर खरगडीहा गौशाला परिसर में आयोजित एक सभा को सम्बोधित करते हुए उपायुक्त ने कहा कि महात्मा गांधी का शिक्षा, सामजिक न्याय और सत्ता के विकेंद्रीकरण पर विशेष जोर था। साथ ही गांधीजी ने ग्राम स्वराज की कल्पना भी की थी। पूर्व विधायक केदार हाजरा ने कहा कि गांधी के विचार और उनके मूल्य आज के नौजवानों के लिए प्रेरणादायक हैं। उद्योगपति मोहन साव ने यहाँ गांधीजी की प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा की।
गौरतलब है कि 6 और 7 अक्टूबर 1925 को आज़ादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी गिरिडीह ज़िले के खरगडीहा और उसके बाद पचम्बा पहुंचे थे। इन दोनों स्थानों पर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में जन-भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जनसभाओं को संबोधित किया था।
इस दो दिवसीय पदयात्रा के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों और प्रेरक भाषणों के माध्यम से गांधीजी के विचारों सत्य, अहिंसा और एकता को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। यह आयोजन न केवल इतिहास को जीवंत करने वाला है, बल्कि समाज में गांधीजी के आदर्शों को पुनः स्थापित करने का सशक्त संदेश भी देने का प्रयास है।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में आयोजन समिति के संयोजक कृष्णकान्त, सह संयोजक कृष्ण मुरारी शर्मा, राजेश सिन्हा , धरनीधर प्रसाद, सतीश कुंदन, उमेश तिवारी, प्रभाकर कुमार, रामजी यादव, शंकर पाण्डेय, रितेश सराक, आलोक रंजन, बैद्यनाथ, बैजनाथ प्रसाद बैजू, जयकुमार मिश्र, अरुण शर्मा, सैयद सबिह अशरफ, सोमनाथ , विलियम जैकब, नुरूल हौदा , राजेश यादव ,दिलीप मंडल, अगस्त कुमार क्रांति, राकेश कुमार राॅकी, सुन्दर राम, जुल्फिकार अली, चिन्ना खान, रंजीत राम, मुजाहिद अंसारी, सुरंजन सिंह, प्रफ्फूल सिंह, पवन सिंह, आशिष भदानी, सुधीर द्विवेदी, अनिल चौधरी, गौरीशंकर यादव , कासिम अंसारी, कन्हैया सिंह सहित सैकड़ों लोग जुटे हुए हैं।